पप्पू कि गेंद खो गई तो सोनू क्यों रोया?

चौक गए ?
आप सोच रहे है कि मेरे सारी रचनाओ  का शीर्षक इतना अजीब क्यों होता है...
लाइफ में हमने इतना सब कुछ अजीब देखा है कि अब तो हर चीज हमें अजीब ही लगती है....
उसके अलावा आपका मूड भी तो फ्रेश करना होता है आपको हसाना भी होता है.... और आजकल हसी भी अजीब बातो से ही आती है....
चलो छोडीये  इन बातो को , ये बताइए कि अगर दो बच्चे खेल रहे हो और अचानक एक बच्चे कि गेंद खो जाए तो दूसरा बच्चा क्यों दुखी होगा?
चलो मान लिया कि दोस्ती में ऐसा होता है लेकिन दूसरा बच्चा इतना दुखी भी नहीं होगा कि अपना सारा काम काज भुलाकर बस शोक ही मनाता रहे....
इंसान बहुत मतलबी है......जब हमारी अपनी कोई चीज खो जाती है तो हम बहुत दुखी होते है लेकिन अगर वो चीज किसी दुसरे की हो तो हम दुखी होने का नाटक तो करते है पर दुखी होते नहीं है...
तो फिर पप्पू की गेंद खोने पर सोनू भी अगर दुखी हुआ तो वो भी सिर्फ एक दिखावा ही होगा....
हम कहते है की ये सारी दुनिया भगवान् की है तो फिर यहाँ की हर चीज भी भगवान् की ही हुई , ये घर , ये पैसा, ये कपडे, ये रिश्ते..... ये सब कुछ भगवान् का ही तो हुआ...
फिर भगवान् की कोई चीज खो जाए तो हम दुखी क्यों होंगे...
मेरा मकान...मेरा भाई....मेरी पत्नी.....मेरा बेटा..... मेरी नौकरी....... ये सब क्या है?


दुनिया भगवान् की ...और सामान मेरा..... किसी के मकान में राखी टेबल कुर्सी आपकी कैसे हो सकती है....
भाईसाहब बहन जी ........ ये दुनिया आपका ठिकाना नहीं बल्कि सिर्फ एक पड़ाव है... एक होटल जहा आप कुछ दिन कुछ रातें बिता रहे है............ कृपया यहाँ की बेड शीट, यहाँ के टॉवेल, यहाँ के साबुन को इस्तेमाल तो करे पर अपना न समझे ......
 जब तक होटल में रहो.....मजे करो..... जब चेक आउट करने का समय आए ....तो होटल के मालिक (भगवान्) का शुक्रिया अदा करो और आगे के सफ़र पर चल पड़ो

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