किसी ने सच ही कहा है कि हमारे चारो और बहुत सारा ज्ञान फैला हुआ है बस उसे जानने और समझने के लिए पारखी नजरे चाहिए. जो अभ्यास से मिलती है.... निरंतर हर चीज को, हर बात को अलग नजरिये से देखने की आदत कभी कभी आपको कुछ ऐसा दिखाती है,,,सिखाती है कि आपके जीवन कि दिशा ही बदल जाती है|
एक दिन भोजन करते वक्त माँ ने थाली मै करेला परोसा तो मै बहुत नाराज़ हुआ क्यों कि सभी को पता था कि मुझे करेला बिलकुल भी पसंद नहीं है.... इतनी कडवी सब्जी भला कोई कैसे खा सकता है...... मैंने माँ से सख्त आवाज़ मै कहा कि अपने मेरी थाली मै ये गन्दी चीज क्यों डाली ... उस वक्त माँ ने जो कहा वो मेरे जीवन मै एक सबक बन गया|
माँ ने कहा कडवी चीज हर बार गन्दी ही हो ये जरुरी नहीं और ना ही ये जरुरी है कि मीठी चीज हर बार अच्छी हो.... मै उस वक्त तो इस बात समझ नहीं पाया क्यों कि "विनाश काले विपरीत बुद्दी"... कुछ समय बाद मै अपने छात्रो को पढ़ा रहा था ... और पढ़ाते पढ़ाते अचानक मैंने किसी बात पर एक छात्र को डांट दिया ... वो बहुत नाराज हुआ कुछ दिनों बाद वो ही छात्र मेरे पास आया और बोला "सर, आपने जो मुझे उस दिन डाटा, मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन बाद मै एहसास हुआ कि आपने मेरे भले के लिए ही मुझे डाटा था अगर आप उस वक्त मुझसे मीठा मीठा ही बोलते तो शायद वो मेरे लिए गलत होता.....
एक छोटे बच्चे कि समझ मै ये बात आ गई लेकिन मेरी समझ में इतनी देर से आई ..............
अगले ही दिन मेने क्लास में ऐलान कर दिया कि " में करेला हु" ...........
शक्कर मिट्ठी होती है लेकिन मधुमेह रोग का कारण बनती है जबकि करेला कडवा होकर भी मधुमेह रोग को ठीक करता है.... अतः मै शक्कर बनकर किसी का बुरा नहीं कर सकता.... मै करेला ही हु.|
आप क्या बनना चाहते है....सोच ले.|
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