सड़े फलो की टोकरी में सड़ा कौन ?

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सड़े फलो की टोकरी में सड़ा कौन ?
बहुत ही आसान सा लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाला सवाल… ।
जवाब भी आसान है ना ?
सड़े फलो की टोकरी में सड़े हुए फल ही है ना, टोकरी तो नहीं ना…
तो फिर हम ये क्या कर रहे है, हम टोकरी को सड़ा हुआ बता रहे है और उसी टोकड़ी के फलो को दूसरी टोकरी में जाता देखकर भी चुप है , या अंजान है ।
दोस्तों, एक पार्टी उसके सदस्यो से यानि नेताओ से बनती है तो खराब पार्टी हुई या उसके नेता ?
जिस तरह डूबती नाव से सबसे पहले चूहे कूदते है, वैसे ही आज राजनेता बीजेपी का रूख कर रहे है और बीजेपी उन सड़े हुए फलो को अपनी टोकरी में सजाकर फुले नहीं समा रही है ।
कांग्रेस को भ्रष्ट बताने वाली बीजेपी उसके भ्रष्ट नेताओ को अपनी पार्टी में लेकर क्या करना चाहती है ?
अभी हाल ही में बीजेपी के प्रवक्ता को एक कांग्रेस के नेता को ये कहते सुना कि ज़रा सोच समझ कर बोलिये, क्या पता कल आपको हमारी ही पार्टी में आना पड़ जाये....।
क्या बीजेपी ने भ्रष्ट नेताओ को सुधरने वाली रिफाइनरी खोल रही है या कांग्रेस के मंजे हुए खिलाड़ियो को अपनी पार्टी में शामिल कर देश को लूटने की तैयारिया जोरो पर है ।
जागो जनता जागो ।

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