किसी काम से पंजाब जा रहा था.... बस में चढ़ा और अपनी सीट पर जा कर बैठ गया... बाकि सवारिया भी अपनी अपनी सीटो पर बैठ गई... बस रवाना हुई.... मैंने अपना अखबार पढना शुरू किया... थोड़ी सी दूर जाकर बस रुकी .... एक सज्जन हाथ में एक भारी सा बैग लिए चढ़े ....मेरी बाजू वाली सीट पर आकर बैठ गए...... अन्जान चेहरा था... पहले कभी देखा नहीं.... अचानक बस एक स्पीड ब्रेकर पर थोडा कूदी तो मेरा पैर उनके पैर पर आ गया ... मैने क्षमा मांगी... वो बोले .."कोई बात नहीं" थोड़ी ही देर में हमारे बिच वार्तालाप शुरू हो गई.... वो अन्जान चेहरा अब जानकार बन गया..
रास्ते में बस कही बार रुकी... कही नए नए चेहरे बस में चढ़े.. कही सवारिया बस से उतरी ... बस चलती रही... अचानक बस एक स्टेशन पर रुकी... मेरे बाजु वाले सज्जन ... या यु कहू कि मेरे बाजु वाले मित्र बोले... मेरी मेरी मंजिल आ गई... मैने हँस कर उन्हें बाय बाय किया.... वो बस से जा रहे थे... मेरे मन में उदासी थी.... बस रवाना हुई... मै उस सीट को देख रहा था... जहा कुछ देर पहले कोई बैठा था... थोड़ी देर बाद एक दुसरे सज्जन उस सीट पर आकर बैठ गए....... मै सोच रहा था. शायद यही संसार है... ये बस हमारे जीवन की तरह ही है.... हमारे बड़े बुजुर्ग हमसे पहले इस बस मै चढ़े थे.... हम उनके बाद में आए और उनसे रिश्ता... एक अपनापन ...एक लगाव बन गया... थोड़ी ही देर बाद उन्होंने हमारा साथ छोड़ दिया... हम सफ़र में अकेले हो गए..बस फिर रुकी... कुछ नई सवारिया आई... जिन्हें हमने अपनी औलाद ... अपनी नई पीढ़ी का नाम दे दिया... उनसे भी रिश्ता बन गया... उन्हें हमने उन पुरानी सवारियों के बारे में बताया जो पहले आई और अब चली गई.... बस फिर रुकी .... लेकिन इस बार उदासी हमारे चेहरे पर नहीं थी............हमारे बच्चे उदास थे..........क्यों की इस बार हमें इस बस से उतरना था...बस फिर चल पड़ी ......अब उस बस में कौन कौन होगा... कौन क्या कर रहा होगा... कौन हमें याद कर रहा होगा... कोनसी नई सवारी किसे मिलेगी... किसका किससे रिश्ता बनेगा... ये सब हमें नहीं पता होगा... क्यों की हम अब उस बस में नहीं है......किसी के आने से या जाने से बस का सफ़र नहीं रुकता...
किसी के आने से खुश होते है तो किसी के कमी खलती रहती है,
पर यकीन मानो दोस्तों, गाड़ी चलती रहती है...
bahut badhiya or marmik chitran ha dost badhai
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