मेरी पहली कविता....

सुना कवियों ने बहुत ख्याति पाई..
सुन सुन कर मेरे सपनो ने भी ली अंगड़ाई
हमने भी अपनी पहली कविता बनाई
सबसे पहले अपने दोस्तों को सुनाई....
पहले तो उन्हें थोड़ी सुस्ती आई
फिरसबको बहुत अच्छी नींद आई जागते
ही बोले मार डालेंगे अगर दोबारा ऐसी कविता सुनाई
मुझे उनकी आँखों में मौत नज़र आई
उस वक्त वो लग रहे थे यमराज की परछाई
हमने अपना कान पकड़ा और अपनी जान बचाई
तब हमारे दिमाग में एक योजना आई
क्यों ना सरे जग को दे दे ये नींद की दवाई
एक स्थानीय अखबार में हमने वो कविता छपवाई
अगले ही दिन दरवाजे पे भयंकर भीड़ पाई
मार मार कर लोगो ने मेरी वो हालत बनाई
कि आइना देख मुझे खुद को शर्म आई
सोचो लिखो और मार भी खाओ ,
बात समझ नहीं आईपर अक्ल थी नहीं सो नहीं लगाईं
पर भगवान् के आगे ये कसम खाई
कि तौबा मेरी जो दुबारा कविता बनाई
कही सालो बाद ये बात समझ में आई
कि क्यों हुई थी उस वाख रुशवाई
अरे मैंने आज के वक्त में हास्य कविता बनाई
जब कि चारो तरफ व्याप्त है भ्रस्टाचार और महंगाई
आज लोगो को हसने में होती है कठिनाई
कहता है ये विसंक जोधपुरी, अगर करनी है वास्तव में लोगो कि कुछ
भलाई
तो इनसे पीछा छुड़ाने कि बनाओ कोई दवाई.....




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