उम्र के अंतिम मुकाम पर लक्ष्य मिला....

आज आपको मै अपनी एक प्यारी सी भूल के बारे मै बताता हु...
अपने कमरे में बैठा कुछ लिख रहा था कि अचानक बिजली चली गई.... मैंने भी वही किया जो आम तौर पर हम सभी करते है, बाद में कही लाईट पंखा बंद करना भूल ना जाऊ ... ये सोचकर स्विच ऑफ कर दिए...
मै लिखता रहा ..... लिखता रहा .... और समय गुजरता रहा.... काफी देर हो गई...लेकिन बिजली वापिस लौट कर नहीं आई....... |
अचानक मेरे एक पुराने मित्र कमरे में आए....... "क्या बात है, इतनी गर्मी में पंखा बंद करके क्यों बैठे हो...." कहते कहते उन्होंने पंखे का स्विच चालू किया.... ये क्या.... पंखा तो चल पड़ा ........ अरे हाँ, मैंने ही तो सारे स्विच ऑफ कर दिए थे... बिजली आई ....लेकिन मुझे इसका एहसास ही नहीं हुआ और मै गर्मी से परेशान होता रहा....
मेरे मित्र मुझसे बाते कर रहे थे और मै मुस्कुरा रहा था.... उनकी बातो पर नहीं बल्कि अपनी भूल पर.......
ये  भूल सिर्फ मेरी नहीं बल्कि हम सभी की है..... जीवन मै अक्सर सफलता हमारे द्वार पर आकर खड़ी हो जाती है...... लेकिन हम द्वार खोलने की बजाय यही सोचते रहते है कि क्या बात है .....सफलता अभी तक आई क्यों नहीं.
और हम निराश हो जाते है.... जब अक्ल आती है तब तक काफी देर हो जाती है... और तब अपनी भूल पर हंसने के अलावा हमारे पास कोई और चारा नहीं बचता...इसीलिए कहते है....
उम्र के अंतिम मुकाम पर लक्ष्य मिला पर कुछ दूर था
मै अपनी ढलती उम्र से मजबूर था,
तब याद आई मुझे मेरी वो जवानी
जब कि मेरा पहला ही कदम बे नूर था.....
कहते है... "सक्सेस नेवर नौक ट्वाईस".... सफलता कभी दो बार दस्तक नहीं देती...
अतः हर वक्त चोकन्ना रहकर सफलता के पदचाप को सुनो और अपने जीवन के तमाम दरवाजे जिनसे सफलता आ सकती है, खुले रखो.... और हर समय मेहनत करते रहो ताकि जब सफलता आपको आकर देखे तो उसे ये ना लगे कि गलत पते पर आ गई हु....|

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