आज आप हैरान होंगे...क्यों कि पानी के नल से फूल गिरेंगे...मैंने अपनी हर रचना में आपको सिर्फ रुलाया है...वैसे इसमें मेरा भी कोई दोष नहीं....मेरे पास जो होगा वो ही तो दूंगा...."ज़माने ने बनाई थी वो भद्दी तश्वीर मेरी, जिसे आइना समझ कर मैंने अपना चेहरा बिगाड़ लिया"............. लेकिन आज में आपको नहीं रुलाऊंगा क्यों कि मै समझ गया हु कि जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है.....अगर आज मेरे सिने में गमो का सागर नहीं होता तो मै आपकी आँखों में आंशु कैसे दे पाता और कभी कभी आखो को आंशुओ से भिगो देना जरूरी भी है ताकि हमें हँसी का महत्त्व मालूम चले....वरना हम तो जैसे हँसना भूल ही गए..... क्या आपको लगता है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है....?
शायद हम सब को यही लगता कि जो हुआ सही नहीं हुआ.....ये अच्छा हो सकता था लेकिन नहीं हुआ....शायद किश्मत .......|
आप अपने चारो तरफ निगाह दौडाए.....अपनी रोज़ की जिन्दगी में नज़र डाले तो ऐसे कितने अवसर होंगे जब कोई बात या कोई काम गलत होकर भी सही हो जाता है......... आपको कही जाना था लेकिन आखरी समय में आपका मूड बदल जाता है और आप नहीं जाते..... थोड़ी ही देर बाद तेज बारिश शुरू हो जाती है ....आपके दिमाग में क्या आएगा ?......... शुक्र है मै बाहर नहीं गया....आपके कुछ दोस्त शहर के बाहर घुमने जा रहे थे.....आपसे भी कहा लेकिन पिताजी ने इजाज़त नहीं दी सो आप मन मार कर रह गए ......अगले ही दिन खबर पहुची कि उनकी गाडी का रास्ते में एक्सिडेंट हो गया और सभी दोस्त .......आपको दोस्तों के जाने के गम के साथ साथ अपने बचने की ख़ुशी भी होगी.....और आप मन में खुद से कहेंगे कि जो होता है अच्छे के लिए ही होता है....... मैंने बचपन में एक लड़की से प्यार किया था....बहुत ही प्यारी और भोली.... जिसकी आँखों में मुझे सारा संसार नज़र आता था.....जिसके साथ मै पूरी उम्र बिताना चाहता था.....जिसकी एक हँसी पर मै अपना जीवन लुटा सकता था.....लेकिन किश्मत ने साथ नहीं दिया और हमारे घर वाले हमारे रिश्ते की लिए तैयार नहीं हुए....मै बहुत रोया....तडपा.... लेकिन इस पत्थर दिल ज़माने के आगे मै कुछ नहीं कर पाया......समय गुजरता गया और अभी कुछ महीने पहले करीब बारह साल बाद उस लड़की से जो अब औरत बन चुकी थी.....एक बच्चे की माँ बन चुकी थी.....मुलाक़ात हुई....कॉलेज में व्याख्याता बन चुकी थी....और अभी कुछ महीनो पहले ही मेरे शहर में तबादला हो गया था.....बहुत घमंडी और मतलबी ....... मेरी दोस्त तो ऐसी नहीं थी..... अपने पति की बुराई पुरे जोश और होश से कर रही थी.... दरह्सल उसका पति बेरोजगार है.... किसी कारण से उसका काम काज चल नहीं पाया और अब मेरी दोस्त को अखरता है कि वो ही पूरा घर चला रही है और उसका पति आराम से घर पर बैठा है...."काम का ना काज का दुश्मन अनाज का...." पति पत्नी के रिश्ते में ये मेरा तेरा कैसे आ गया...जब पति दिन रात काम करके घर चला सकता है तो क्या पति नहीं....? मै हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था और वो बढ चढ़ कर खुद की तारीफे और पति की बुराइया किये जा रही थी.......... मुलाक़ात ख़त्म हुई.....फिर मिलने का वादा लेकर वो चली गई और मै भी अपने घर लौट आया..... मेरी श्री मति जी ने दरवाजा खोला....बड़े प्यार से बोला ....आप थक गए होंगे....बैठिये मै आपके लिए पानी लेकर आती हु......"तुम भी तो थक गई हो.... पूरी दिन घर का काम और साथ में बुटिक भी संभालती हो"......मैंने थकान भरी आवाज़ में कहा. मेरी श्री मति जी ने घर में ही लेडिज आइटम्स की दूकान लगा रखी है जो कि वो घर के काम के साथ साथ सम्भालती है.....वो पानी लेकर आती है और मेरे पास आकर बैठ जाती है.... वो बातें कर रही थी .... और मै उसे देखे जा रहा था......मेरे दिमाग में आया ...."जो होता है अच्छे के लिए ही होता है......." अगर मेरी शादी उस लड़की से हो जाती तो क्या मै खुश रह पाता ..... भगवान् जो करता है अच्छा करता है.....|
कहते है कि " जो आपके मन से हुआ है वो अच्छा है लेकिन जो आपके मन से नहीं हुआ है वो बहुत अच्छा है क्यों कि वो उसके मन ने हुआ है और वो कुछ भी गलत नहीं करते है..... हम सब उनकी औलादे है....|
ऐसे कितने ही किस्से जीवन में घटते है जो हमें ये सिखाते है कि जो होता है अच्छे के लिए ही होता है.... इसलिए हर हाल में खुश रहना सीख लो.... "अच्छे को उनका आशीर्वाद और बुरे को उनकी मर्जी मान कर आगे बढते जाओ....."
एक और घटना सुनता हु..... मेरा सपना था कि में डॉक्टर बनू.....मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था ...तभी वो लड़की लाइफ में आई और फिर चली गई....मै ऐसा टुटा कि सब कुछ खत्म हो गया ....मेरी पढाई में रूचि खत्म हो गई....मेरा चयन नहीं हो पाया...... दुसरे कोर्सेस में दाखिला लेकर मैंने अपनी पढाई आगे बढाई..... विज्ञान में स्नातक होने के बाद मैंने फार्मेसी कॉलेज में दाखिला लिया.... और एक दावा कंपनी में नौकरी के साथ साथ मैंने अपनी एम्. बी. ए. पूरी की और फिर एक बड़ी दवा कंपनी में क्षेत्रीय प्रबंधक बन गया.... शादी हो गई...... और फिर अचानक किस्मत ने चमत्कार दिखाया और मेरे दिम्माग में अपना व्यापार का ख्याल आया और मैंने प्रशिक्षण और रोज़गार का व्यवसाय शुरू कर दिया ...... चार वर्षो के भीतर ही मेरी ख्याति पुरे प्रदेश में फ़ैल गई और पैसो की बारिश होने लगी..... आज मेरे पास सब कुछ है.... नाम ....पैसा..... अच्छा परिवार.... सुंदर पत्नी..... डॉक्टर बन कर भी शायद ये सब नहीं मील पाता... मैंने बहुत से डॉक्टर देखे जिनके पास मरीज़ नहीं होते और जो एक एक पैसे के लिए तरसते है..... खैर, शुक्रिया भगवान्.... जो होता है अच्छे के लिए ही होता है.
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