जीवन चार दिनों का है.............


जीवन चार दिनों का है...सभी कहते है



तो भला चार दिन भी हम खुश क्यों नहीं


कोई किसी से नाराज़ क्यों है


कोई किसी से खुश क्यों नहीं


जीवन जिन्दादिली का नाम है


तो भला हम मौत से डरते क्यों है


अंजानो से प्यार करते क्यों है


जीवन ख़ुशी भी है और गम भी है


तो भला हम औरो को ख़ुशी देकर जीते क्यों नहीं


और औरो का गम लेकर मरते क्यों नहीं


जीवन जन्म से मौत तक का सफ़र है


तो भला इस सफ़र में सब अकेले क्यों है


हम सब साथ साथ चलते क्यों नहीं


जीवन प्यार से सवरता है


तो भला सभी को प्यार मिलता क्यों नहीं


सभी का जीवन प्यार की खुशबु से खिलता क्यों नहीं


जीवन आशिक की निगाहों में दिखता है


तो भला जब रात होती है किसी की मोहब्बत सोती है


तब कोई आशिक मरता क्यों नहीं


हम भी तो चाहते है जीना ए जहा वालो


हमें भला कोई प्यार करता क्यों नहीं


हम सभी औलादे है उस खुदा की


तो मेरा आशिक खुदा से डरता क्यों नहीं


प्यार का वादा किया था कभी


आज वो प्यार करता क्यों नहीं


भूल हुई थी हमसे कही तो कभी तो , मानते है हम


पर क्या हम इंसान नहीं


हमारी भी कोई मजबूरी रही होगी


क्या उसे गुमान नहीं


जब किया था बहुत प्यार किया था


तो भला हम उसे नाराज़ कैसे करेंगे


अब मील जाओ तो थोडा और जी लेंगे


वरना अब तो हम मरेंगे


जीवन में प्यार एक बार ही मिलता है


तो भला वो प्यार साथ रहता क्यों नहीं


अगर नफरत भी है उनको हमसे तो कोई बात नहीं


पर साफ़ साफ़ हमसे कहता क्यों नहीं


जीवन में कोई आता ही क्यों है


प्यार मिले तो मौत से डर लगता है


प्यार छूटे तो दुनिया में मन लगता क्यों नहीं


अब ख़ुशी हमें रास नहीं आती है


उनकी हँसी भी अक्सर हमें रुलाती है


वो ऊपर वाला हम पर रहम क्यों नहीं करता


जब आगे बढ़ाना मुश्किल है जो


इस जीवन को खत्म क्यों नहीं करता


जीवन चार दिनों का है सभी कहते है


तो भला वो चार दिन पुरे क्यों नहीं होते


वो कितना भी दर्द दे हमको


हमारी नजरो में बुरे क्यों नहीं होते


शायद प्यार यही होता है


एक हँसता है और दूजा रोता है


जब साथ साथ प्यार करते है


तो साथ साथ रोते क्यों नहीं


ए खुदा मुझे बता दो सिर्फ इतना मेरे चार दिन खत्म होते क्यों नही

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Visank is waiting for your valuable comments about this script so please write here something...