क्या आप मरना चाहते है ?...... नहीं ना.... हम सभी की तम्मना होती है कि हम अमर रहे ..... कभी ना मरे..... हमेशा इस खुबसूरत दुनिया को देखते रहे..... क्या ये संभव है ?
आपका जवाब यक़ीनन ना ही होगा.... क्यों कि हम सभी को ये मानव देह एक दिन तो त्यागनी ही होगी फिर इस दुनिया को देखने का हमारा सपना कैसे पूरा होगा......?
इन आँखों की प्यास कभी नहीं बुझती ...... इंसान के मरने के बाद भी काफी समय तक ये आँखे ज़िंदा रहती है .... इस दुनिया को और देखना चाहती है.... और हमसे कहती है कि हमें इसी दुनिया में छोड़ दो ......हमें तो मरने के बाद जलाया जाता है लेकिन इन आँखों को तो कई बार जीते जी जला दिया जाता है.... ज़रा सोचिये ....कितना दर्द और जलन सहन करती होगी....उनकी बद्दुआए क्या हमारी आत्मा को शांत रहने देगी .....नहीं........... हम तो अपनी प्राकृतिक मौत मरते है लेकिन इन आँखों का तो क़त्ल होता है..... अगर मरने के बाद एक निश्चित समय अंतराल में इन आँखों को निकाल कर किसी और को लगा दी जाए तो ये पुनः देखना शुरू कर देती है .....और हमारा हमेशा दुनिया को देखते रहने का सपना भी पूरा हो जाता है...... हम तो वैसे भी मर जाएंगे ....और हमारे पुरे शरीर को जला दिया जाएगा तो फिर अगर हमारे किसी अंग को निकाल भी लिया जाए तो क्या फर्क पड़ता है...... |
कल्पना कीजिये कि आप गहरी नींद में है और आपकी कमीज की जेब में से किसी ने रूपये निकाल लिए तो क्या आपको पता लगेगा.... नहीं...... उस वक्त आपको कुछ भी मालूम नहीं चलेगा.... क्यों कि आप तो गहरी नींद में है .....और मौत से गहरी नींद कोनसी होगी......?
आपको कुछ भी एहसास नहीं होगा ......... लेकिन आपकी आँखों से किन्ही दो इंसानों का जीवन रौशनी से भर जाएगा..... वो हर वक्त खुश रहेंगे और उनकी हर मुस्कान पर आपका नाम लिखा होगा..... तो दोस्तों मेरी आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि एक बार शांत भाव से विचार कीजिये.... कि क्या आप वाकई.... अमर होना चाहते है......क्या आप हमेशा इस खुबसूरत दुनिया को निहारना चाहते है..... क्या आप मरते मरते भी एक महान कार्य करना चाहते है...... तो आज ही अपने नजदीक के नेत्र चिकित्सालय जाकर नेत्र दान के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कीजिये..... और नेत्रदान करके अपने जीवन की इस लम्बी और खुबसूरत पारी की आखरी गेंद में छक्का मार दीजिये.....|
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