क्या आप भी लेखक बनना चाहते हो ?

नहीं नहीं, मै आपसे मज़ाक नहीं कर रहा .....अगर वाकई आप भी लेखक बनना चाहते हो तो बताओ... पिछले कुछ दिनों से मेरी एक मित्र पर कुछ इसी तरह का भूत सवार है.....वो भी लेखिका बनना चाहती है |
इंजिनियर.....डॉक्टर......वकील.......अध्यापक.....और ना जाने कितने ऐसे काम है जिनमे आप की रूचि होती है और आप उनके लिए प्रशिक्षण लेते है......उद्देश्य सिर्फ एक.......अच्छी नौकरी....अच्छा वेतन.....लेकिन एक सच्चा लेखक नौकरी या वेतन नहीं चाहता..... दिल में हज़ारो सवालों का एक समन्दर उछाले मारता है.... जिसे शायद एक लेखक सहन ना कर पाता हो .....इसीलिये उसने अपनी कलम को अपना हमदर्द मान लिया और मन की व्यथा को कागज़ पर उढेल कर वो थोडा हल्का महसूस करता है......|
कदम कदम पर हमें झूठ बोलना पड़ता है......कदम कदम पर हमें झूठ सुनना पड़ता है.....लेकिन अपने कदमो को ही अपना शिक्षक मानने वाली अपनी उस मित्र से आज मै एक सवाल करना चाहूँगा....कि क्या उस झूठ तक पहुचने से पहले वो शिक्षक आपको आगाह नहीं कर सकते ....क्या जरूरी है ..कि हर बार हम यही कहते रहे ...."अगर मुझे पहले पता होता तो......"|
आपके कदम भी आपको बहकने से नहीं रोक पाए.....कोई साथ नहीं देता....सिवाय आपके अपने अपने मन के.....वो भी अगर जाग रहा हो तो...........वरना अक्सर हमारा मन भी सोता ही रहता है|
एक लेखक का मन जाग रहा होता है...कमबख्त नींद ही नहीं आती....ना जाने कितनी रातो को बेचैन सा यहाँ वहा डोलता रहता हु.....अपने मन की गहराही में सवालों के जवाब खोजता रहता हु..... दुनिया वालो से जिन सवालों के जवाब ना मील पाए उनके जवाब अपने ही भीतर ढूंढता रहता हु....और जब वो जवाब नहीं मिलता तो अकेले में आंशु भी बहाता हु |
लेखक शौक नहीं बल्कि शोक मनाता है.....धरती पर फैले इस अन्धकार का और मासूमो पर हो रहे अत्याचार का.....|
जिसे जहा मौका मिलता है...वो लूट रहा है.... सभी को बस अपनी फिक्र है....  अब पिता को बच्चे पर फक्र नहीं बल्कि हर वक्त बच्चे ही फिक्र होती है.....अब देशवासियो के होंठो पर देश भक्ति के गीत नहीं बल्कि हर देश वासी आतंकवाद से भयभीत है......अब क़ानून के पास भी सच नहीं बल्कि और कमाने की लालच है......अब मौत जीवन से मुक्ति नहीं बल्कि किसी की दौलत हथियाने की सबसे आसान युक्ति है.............ऐसे जीवन में एक सच्चा लेखक नौकरी नहीं बल्कि खुशियों की टोकरी ढूंढता है ......वेतन नहीं बल्कि वही पुराना देश भक्तो का वतन ढूढता है ...... और वो इन सब के बीच अपने अस्तित्व, अपने होने की वजह ढूंढता है |.................अब आप मुझे बताइये कि  ............क्या आप भी लेखक बनना चाहते हो ?

4 टिप्‍पणियां:

  1. राहुल, मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी होगी |

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  2. जी श्रीमान,
    सत्य कहा आपने । सच मे बहुत से ख्याल मन मे उमड़ते रहते है।
    विचारो को शब्दों का रूप देना हैं पर शुरू कहा से करे कुछ समझ नही आता।

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