मै कोई बिमा अभिकर्ता नहीं हु...लेकिन फिर भी आप सभी को बिमा की अहमियत समझा रहा हु...क्यों कि हाल ही में मैंने इसे समझा है | मै आपकी तरह बिमा को जरुरी नहीं मानता था..."अरे भाई, अभी तो पूरी उम्र पड़ी है...अभी से ये मरने मारने की बातें ....अपनी जरूरतों के लिए ही पैसा पूरा नहीं पड़ता तो ये बिमा कहा से करवाए.... |"
मैंने अपने एक पुराने लेख में लिखा था..."मोच आए पर सोच ना आए..." मेरे एक पडोसी...खत्री जी..परेशान थे...उन्हें लगा था कि उन्हें कोई बड़ी बिमारी हुई है...लेकिन सभी ने यही कहा कि उनका वहम है...खत्री जी..उस वक्त तो मान गए थे...लेकिन मन ही मन में परेशान थे....उनकी परेशानी गलत नहीं थी....कुछ ही दिनों बाद उनकी हालात फिर से बिगड़ने लगी तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया और सम्पूर्ण जांच करवाई गई....और वही हुआ...जिसका डर था....खत्री जी को "ब्रेन ट्यूमर" था.....और ट्यूमर भी ऐसा जो सबसे तेजी से बढता है...न्यूरो ब्लास्टिक ट्यूमर....|
लाखो रुपया खर्च किया .....जगह जगह दिखाया....इलाज करवाया ...लेकिन..... कल उन्होंने ये दुनिया छोड़ दी....लेकिन जाते जाते बिमा की अहमियत समझा दी....|
खत्री जी खुद एक बिमा अभिकर्ता थे...हमेशा मेरे पास आते थे और कहते थे कि जैन साहब बिमा में निवेश कीजिये...बहुत काम आएगा....लेकिन मैंने कभी उनकी बातो को गंभीरता से नहीं लिया....लेकिन आज गोपी किशन खत्री जी... अपने नाम की सार्थकता दिखा गए...गोपी किशन यानि....G.K. ....हमें मर कर G.K. यानी General Knowledge दे गए कि जीवन तो आया राम गया राम है....इस पर इतना विश्वास ठीक नहीं...इसी लिए मैंने एक बार कहा था... "इतना कमाओ की पेट भर खा सको...और इतना बचाओ की बे फिक्र जा सको....|"
आप जिन्दगी भर चाहे जितना कमाओ लेकिन आपके जाने के बाद आप की जगह कौन ले सकता है, कोई नहीं ....लेकिन फिर भी हम अपनों के लिए इंतजाम करके जाते है...ठीक उसी तरह बिमा भी अपनों के लिए इंतजाम ही है....बिमा अपने लिए नहीं बल्कि अपनों के लिए होता है....|
बे फिक्र दौड़ता आदमी दुनिया की लम्बी रोड पर,
नहीं जानता मील सकती है मौत किसी भी मोड़ पर |
एक नहीं हज़ारो घटनाए हमारे आस पास घटती है.... पति घर से निकला....वापिस नहीं आया...आई तो सिर्फ उसकी दुर्घटना की खबर.....बेटा घर से बाहर दुसरे शहर में पढाई करता था....कुछ बच्चे घुमने गए....और रास्ते में गाडी का एक्सिडेंट हो गया ...कोई नहीं बचा....ना जाने कितने किस्से सुने है....क्या जाने वाले को पता होता है कि वो जाने वाला है...?
मौत नोटिस देकर नहीं आती....|
खत्री अपने पीछे तीन मासूम बच्चे जिनके अभी पढने और खेलने खाने के दिन है ....और एक जवान बीवी....जिसके अभी कही सपने बाकी है....छोड़ गए......बच्चो को पापा के लौटने का इंतज़ार है....क्या पापा वापिस आयेंगे..?
पत्नी आज भी रातो में बच्चो को सुलाकर गलती से कही बार सजने सवरने लगती है....लेकिन तभी ..... वो फुट फुट कर रोने लगती है.....उसने किसी का क्या बिगाड़ा था जो उसे ये सजा मिली....सजा जाने वाले को नहीं बल्कि पीछे छुट जाने वालो को मिलती है.... जिनका अपना चला गया उनकी आँखों में अपनों की छवि देखो...ऐसा सोच भी नहीं पायेंगे तो देख कैसे पायेंगे...?
दोस्तों....संभल जाओ....अपनों के इस जनम की और अपने अगले जनम की फिक्र ही जिन्दगी है....अपनों के लिए इतना बचा लो कि आप के बाद उनका ये जीवन खराब ना हो और खुद के लिए इतना पुण्य कमा लो की मौत के बाद आपका अगला जनम खराब ना हो....|
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