मरने से पहले जीना ...सीख ले...


हिंदी सिनेमा ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है...

लोग कहते है .... पहले की बात अलग थी...अच्छी अच्छी और शिक्षाप्रद फिल्मे आती थी जिनसे कुछ ज्ञान मिलता था लेकिन आजकल तो बेहुदा फिल्मे ही आती है....

जनाब...शिक्षा कोई सरकार नहीं जो समय के साथ पलट जाए ....शिक्षा तो ठंडी हवा का वो झोका है जो हमेशा बहता रहता है और मन को प्रफुल्लित करता रहता है.... जब तक संसार है तब तक शिक्षा का ये झोका तो बहता ही रहेगा....|

जिस तरह बिना हवा के जीवन संभव नहीं ...ठीक उसी तरह बिना शिक्षा के भी कुछ संभव नहीं....अतः शिक्षा हर जगह मौजूद है....हवा को देखना नामुमकिन है तो शिक्षा को कैसे देख पाओगे..?

शिक्षा हर जगह है इसे जानने - समझने के लिए साफ़ सुथरा मन ....और भरपूर समय चाहिए....|

जिस तरह कीचड़ में भी कमल खिलता है ठीक उसी तरह इन बेहुदी फिल्मो में भी शिक्षा मिलती है.... एक फिल्म का एक बेहुदा गाना....मरने से पहले जीना ......सीख ले..... फिल्म का नाम मुन्ना भाई एम्.बी.बी.एस ....

बात तो सही है....हम जी रहे है  ....लेकिन सिर्फ मौत के इंतज़ार में....हम में से कितने है जो जीना जानते है......
गलती आपकी भी नहीं है....बचपन से कौनसा काम ढंग से किया है ?

बचपन में गिलास से दूध गिरता था...पीना नहीं जानते....बड़े हुए .....नौकरी की तलाश में जुटे फटे.....सीना नहीं जानते.....अरे पीना नहीं जानते....सीना नहीं जानते.....तो जीना कैसे जानोगे....?

इसीलिए कभी मैंने लिखा था.....कि ......दिल की हर तमन्ना आज ही कर लो पूरी......कल कही ऐसा न हो कि मौत खड़ी हो सिरहाने और दिल कहे...काश थोड़ा और जी पाता....|

सांस चलना ही जीवन की निशानी नहीं.....जीवन में कोई आस भी तो हो.....बेगानों की भीड़ में कोई तेरा अपना तेरे पास भी तो हो...... जो तू कर रहा है....सभी कर रहे है.....अरे कोई काम तेरा खास भी तो हो....... |

अरे इतना समझाने पर तो मुर्दे भी जीने लगते....तू तो.....अभी ज़िंदा है......है ना ?




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