फ्री पब्लिसिटी .....मुफ्त का प्रचार...


आम आदमी हो या कोई विशेष आदमी...साधू सन्यासी...नेता...बिज़नस मैन... या कोई गिरोह...सभी को नाम की ...प्रचार की भूख तो रहती ही है....और इसी लिए वो अपने प्रचार पर पानी की तरह पैसा बहाते है...और इस प्रचार और नाम की भूख में... मीडिया...टेलीविजन...अखबार...वालो की तो चांदी हो गई....छोटा सा प्रचार भी हजारो का होता है.... लेकिन लोगो के बिच छाना है तो पैसा तो लगाना है....|

मैंने किसी से पूछा... भाई..प्रचार में इतना पैसा खर्च क्यों करते हो...? 

तो जवाब मिला, भाई...पैसा तो हाथ का मैल है... आज है ..कल साफ हो जाएगा....लेकिन नाम तो हमेशा रहेगा...लोग हमेशा याद रखेंगे....|

क्या वाकई...लोग हमेशा याद रखेंगे...?

ये आपका अंध विशवास है....लोग नाम को नहीं...बल्कि काम को याद रखते है....पैसा लगाकर आप लोगो की नजरो पर तो छा सकते हो लेकिन दिलो पर नहीं.......|

पैसो से तत्कालीन या अल्प अवधि का प्रचार तो हो सकता है लेकिन दीर्घकालीन यानि लम्बे समय तक असर दिखाने वाला प्रचार ... आपके कर्मो से ही होता है... महात्मा गाँधी....स्वामी विवेकानन्द.... भगत सिंह...चन्द्र शेखर आज़ाद....रानी लक्ष्मी बाई....और ना जाने कितने...नाम है जिन्होंने अपने कर्मो से लोगो के दिलो में जगह बना ली है....|

ये तो बहुत पुरानी बात हो गई....अखबार खोल कर देखो....किसी भी विज्ञापन से बड़ी....सचिन तेंदुलकर...अमिताभ बच्चन....जैसे सितारों की फोटोस नज़र आ जायेगी......क्या उन्होंने अपनी तश्वीर छपवाने ले लिए अखवार वालो को पैसा दिया ?

नहीं...उन्होंने खुद को इस लायक बनाया है कि दुनिया के तमाम अखबार वाले उनकी तश्वीर को अपने अख़बार में छापने को तरश्ते है....... क्या आपको फ्री की पब्लिसिटी नहीं चाहिए....

तो ठान लीजिये...कि अपने प्रचार में एक पैसा खर्च नहीं करना है......खुद को इस लायक बनाना है  कि दुनिया खुद ब खुद आपका प्रचार करे......|

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