बलात्कारियो को मौत नहीं बल्कि जिन्दगी दो .....


मेरा हर आर्टिकल आपने शायद यही सोचकर अनदेखा कर दिया होगा कि बचकाना सा नाम है तो शायद बचकाना सा ही काम भी होगा लेकिन कभी कभी जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं ।
delhi में हुए गेंगरेप पर सभी ने कोई न कोई टिप्पणिया की है लेकिन मै चाहता हु कि बेइज्जती की सजा भी बेइज्जती ही हो ताकि जुर्म करने वाले की जिन्दगी मौत से बदतर हो जाये ।
सजा ए  मौत तो बहुत ही छोटी सजा होगी इस दरिंदगी के लिए ।

और की क्या बात करे, अपनों की मौत का मातम भी भला हम कितने दिन मनाते है, मेरे आर्टिकल्स "मेरी बाजूवाली सीट पर कोई बैठा है"  और बीवी जी आलू तो ख़त्म हो गए" इसी बात को समझाते है कि मरने वाले के पीछे कोई अपना समय खराब नहीं करता ---- चार दिन आँसू बहाएंगे और फिर सभी सब कुछ भूल जायेंगे---- जब हम अपनों पे समय खराब नहीं करते तो इन बलात्कारियो को कौन याद करेगा----।।

सजा वो हो जो बलात्कारी और उनकी आने वाली सात नस्ले याद रखे कि हमारे खानदान में कोई ऐसा भी पैदा हुआ था---।।

मै चाहता हु कि बलात्कारियो के पुरे जिस्म पर गुदवा (टेटू ) देना चाहिए कि "मै  बलात्कारी हु" उसके सिर  से लेकर पैर तक यही लिखा हुआ नज़र आना चाहिए ताकि उठते बैठते - खाते पीते - सोते जागते उसे अपनी करनी याद रहे ।
 उसके नाम के आगे संबोधन बलात्कारी लगा देना चाहिए जैसे बलात्कारी छेलू सिंह ---- वो जहा भी अपना नाम लिखे उसे इस संबोधन को नाम से पहले लगाना पड़े ।

उसे मौत नहीं बल्कि मौत से बदतर जिन्दगी दो ।

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