फेसबुक की पक्की दोस्ती ..

मुझे वो ट्रेन का सफ़र आज भी याद है जब में अपने सबसे अज़ीज़ दोस्त के साथ था ... मैंने अज़ीज़ कहा यानि कि मुझे उससे खूब सारी बाते करनी चाहिए थी लेकिन मै तो उसे पहचानता भी नही था तो बाते कैसे करता .... हैरान हो गए न आप सब ... सबसे अज़ीज़ दोस्त ...और पहचानता भी नहीं ... दोस्तों ...ये देन है फेसबुक की .... फेसबुक पर वो मेरा सबसे अज़ीज़ दोस्त है…. हम रोज़ घंटो घंटो तक बाते करते है लेकिन आज जब हकीकत में वो मेरे पास बैठा था तो उसे पहचान ही नहीं पाया ... जब बातो बातो में बात निकली तो मालुम चला की ये जनाब वो ही है .... वाह रे फेसबुक ...तेरी लीला अपरम्पार है । 
क्या आपके साथ ऐसी कोई घटना घटी है ... यदि हाँ ..तो जरुर शेयर कीजियेगा ....।


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