फेसबुक और शादी डॉट कॉम में फर्क

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फेसबुक और शादी डॉट कॉम में कुछ तो फर्क होगा ही ...तभी तो हम जैसे शादीशुदा फेसबुक पर आते है शादी डॉट कॉम पर नहीं ...लेकिन जब से फेसबुक से जुड़ा हु ...मै कुछ कंफ्यूज हु ...मैंने तो यही सूना था कि फेसबुक पर हम मित्र बनाते है और मित्रता निभाते है ...लेकिन मैंने तो अक्सर युवाओं को यहाँ जोड़ी तलाशते ही देखा है ... मैंने किसी भी प्रकार की कोई जोखिम ना लेते हुए ...अपनी घरवाली और अपने बच्चो की तश्विरे अपने अकाउंट में लगा दी ... ताकि किसी भी प्रकार का मन में संशय ना रहे लेकिन अब कोई भी महिला मुझसे बात करने में भी कतराती है जैसे कोई शरीफ भारतीय पाकिस्तानी बॉर्डर पार करने से घबराता हो कि शायद दोबारा वतन का दीदार हो ना हो ...।
मै आतंकवादी नहीं हु ...मै शादीशुदा हु ...और बेचारा एक शादीशुदा इंसान किसी का क्या बिगाड़ेगा ... भगवान् ने आलरेडी उसके साथ इतना बड़ा मज़ाक कर दिया है ....। 
वो बेचारा तो फेसबुक पर दोस्ती का थोड़ा सा मरहम तलाशता फिरता है कि शायद दर्द का एहसास थोड़ा कम हो… लेकिन फेसबुक के कुवारों को ये भी रास नहीं आता ....। 

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