उत्तरकांड आपदा ........


पुरानी हिंदी फिल्म का एक गाना याद आ रहा है ..."चिन्गानी कोई भड़के ...तो सावन उसे बुझाये ...सावन जो अगन लगाए उसे कौन बुझाये ...।  ठीक यही हालात अभी केदारनाथ में देखने को मिल रहे है ... तमाम दुखो और आपदाओं से बचने के लिए ही हम इश्वर की शरण में जाते है और वही पर ऐसी आपदा ...! हे ईश्वर, रक्षा करना .. अब तो ये भी नहीं सकते ....। 
क्या आज इस दुनिया में ईश्वर भी सुरक्षित नहीं ?
धर्म के नाम पर ठगी करने वालों का केंद्र बन गया था केदारनाथ ... आस पड़ोस के तमाम बाज़ार और दुकानदार बस यही दुआ करते कि कोई भक्त आ जाए और उनका दिन भर का जुगाड़ हो जाए ...  सवारी, प्रसाद, माला और यहाँ तक कि शीघ्र दर्शन कराने के नाम पर भी ठगी ...खूब चली ...। ऐसा लगता है जैसे ... शायद भगवान् शिव शंकर ने भी उन्हें समझाने की खूब कौशिश की होगी लेकिन जब उन्होंने भगवान् की भी एक ना सुनी तो ...आखिर भगवान् ने उनके साथ अपना घर भी उजाड़ दिया ....ना रहेगा बांस ..और ना ही बजेगी बांसुरी ..... आपकी क्या धारणा है इस बारे में ...?
   

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