एक दिन की औरत

मेरे किसी शब्द पे दाद नहीं मिली
उसके हर शब्द पर तारीफों का ढेर लगा
हैरानी की बात तो ये है दोस्तों
कि मर्द ही देते है मर्द को दगा 
बहुत सोचा पर रास्ता न मिला
यहाँ देखता हु हर औरत का चेहरा खिला
तब साँप लोटते है सीने पे
ये औरते पानी फेर देती है मर्द के पसीने पे
उस दिन फिल्म देखी महान
जहाँ  कलाकार मुख्यमंत्री बना एक दिन का
सोच लिया मैंने भी कि समाधानों का वृक्ष न सही
काम आएगा मेरे ये एक तिनका
आसान तरीका था ये पाने का शोहरत
बन गया मै एक दिन की औरत
मेरा वो वार गजब चल गया
फेसबुक पर तो सीन ही बदल गया
आज तो वो भी खुश था जो कल लड़ा था
जिसे देखो मेरे पीछे पड़ा था
मैंने अपने उदासी के संदूक को बंद किया
उस दिन जो भी लिखा लोगो ने पसंद किया
शाम हुई मै थक गया
हाथ मेरे अब रुक गया
मैंने लिखा अब नहीं लिख सकती 
मशीन नहीं मेरा हाथ है
उसपे  भी  कमेंट आये ...लाखो
व़ाह व़ाह क्या बात है ...  







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