मै शब्दों का जाल नहीं बुनता 
मेरे ख़याल फिर भी अक्सर उलझ जाते है 
लाख जतन करता हु 
फिर भी सुलझ नहीं पाते है 
मुझसे सवाल करते है वो 
लोग क्यों बेरुखी जताते है 
समझो तो "ज्ञान" है ये 
ना समझो तो बस "बाते" है 



 

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