गुस्सा जो गुनाह करने का साहस देता है....

आज मेरी चर्चा का विषय क्रोध है... हम मानवो को एक दैविक वरदान प्राप्त है.... किसी भी छोटी से छोटी बात को भी हम बड़ा बना सकते है...तिल का ताड़ .... राई  का पहाड़......बात का बतंगड़........चाहे कुछ भी नाम दो ..पर हमारी ये अलौकिक शक्ति छुप नहीं सकती..
अच्छे खासे शांत बैठे होते है ..कि तभी किसी छोटी सी बात पर बिना कारण क्रोध आ जाता है..और सारा माहौल गर्म हो जाता है.... ठन्डे प्रदेशो में तो गुस्से की उपयोगिता समझ में आती है... कि वहा माहौल का गर्म होना लाभदायक रहता है..लेकिन ये गुस्सा जगह या मौका नहीं देखता...ये कभी भी और कही भी.... किसी को भी किसी पर भी ....आ जाता है..... ये सर्व व्यापी है ..... मानव ने वसुदेव कुटुम्बकम का सिद्दांत भले ही ना अपनाया हो . ..लेकिन गुस्से ने इस पूरी दुनिया को एकता का पाठ पढाया है... इसने कभी किसी जाति धर्म या अमीर गरीब में फर्क नहीं किया... सभी पर इसने एक सा ही प्रभाव दिखाया है...मै ये कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा हु... यही सोच रहे है ना आप...बहक मै नहीं रहा बल्कि हम सभी बहक गए है... गुस्से की ज्वाला में अपना सब कुछ तबाह करने चले थे हम....ये गुस्सा ही है जो हमें गुनाह करने का साहस देता है... एक छोटा सा लेकिन सच्चा किस्सा सुनाता हु ..... राजेश एक बहुत ही होशियार बच्चा था... परीक्षा का परिणाम आने वाला था... उसकी चिंता स्वाभाविक थी ... बहुत मेहनत की थी उसने....परिणाम एक दिन बाद आने वाला था...लेकिन उसके कुछ दोस्तों को शरारत सुझी ...... फ़ोन किया और बोले ..... इन्टरनेट पर रिजल्ट आ गया है... लेकिन ये क्या ...तू तो फ़ैल हो गया है...!


इतना सुनते ही राजेश के पैरो तले धरती खिसक गई...

उसे गुस्सा आ रहा था... परीक्षा प्रणाली पर...उसे गुस्सा आ रहा था .....एज्युकेशन सिस्टम पर ....आव देखा ना ताव... सीधा अपने कमरे में गया और झूल गया पंखे पर.... राजेश का जीवन ख़त्म हो गया... पास फ़ैल के चक्कर से बहुत उपर उठ चूका था वो.... पुरे घर में मातम था... माँ फुट फुट कर रो रही थी....बाप के हाथ पैर काम नहीं कर रहे थे...इतनी कम उम्र में ..........कितने सपने थे मन में अपनी औलाद के लिए....इकलोती औलाद थी वो...


तभी राजेश के दोस्त हंसते हँसते वहा आते है...."अंकल राजेश कहा है....? वो पूरी स्कूल में अव्वल आया है...." लेकिन तब तक काफी लेट हो चुकी थी...
राजेश या यु कहू ...दिवंगत राजेश एक छोटे से मज़ाक को भी समझ नहीं पाया और ऊपर से गुस्सा .... सब कुछ खत्म हो गया.... ये है गुस्से का परिणाम .... गुस्से में हम ये क्यों भूल जाते है कि हमारा जीवन सिर्फ हमारा नहीं है... औरो का भी है....
मेरी आपसे हाथ जोड़ कर इतनी विनती है कि जब भी गुस्सा आए ...एक जगह पर बैठ जाइये ..... आँखे मूंद कर बीस बार लम्बी लम्बी श्वास लीजिये .... गुस्सा बहुत असब्र होता है वो इतनी प्रतीक्षा नहीं कर पायेगा... और गुस्सा गुस्से मै पैर पटकता हुआ चला जाएगा....

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