कभी खोजा करता था तुझको मै अपने सपनो में
आज वो सपने मेरे सुनसान है.....
कभी सजाया था अपने सपनो को बारात की तरह
आज वो सपने मेरे शमशान है.....
कभी लग रहा था हर शख्स मुझको सपनो का हो जैसे
आज वो सपने मेरे वीरान है.....
कभी देख रहा था खुदको सपनो में हँसते हुए
आज मेरा साया मेरे ही सपनो में परेशान है....
कभी लग रहा था सपनो का आना खुशनसीबी है मेरी
आज लगता है ये सपने मेरी मौत का आव्हान है....
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