पहली बार शादी की है...

चौक गए ..... कितना अजीब विषय है.....शादी तो एक बार ही होती है...में आपकी हैरानी समझ सकता हु लेकिन आप मेरी हैरानी नहीं समझ पा रहे है......
अपने एक मित्र की शादी में गया था .... चारो तरफ से मेक अप करने वालो से घिरा हुआ मेरा दोस्त .... मुझे भीड़ में से ही हाय हल्लो करता है... कोई चेहरे पर क्रीम लगा रहा था... कोई बाल सही कर रहा था.... तो कोई कपड़ो की सलवटे निकाल रहा था..... और हमारे दुल्हे राजा..... मन में उमंग थी... और गालो पर शर्म की लाली साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी............
बड़ी अजीब बात है.... पहली बार शादी और उसमे भी इतना खुश... जिसे आप जानते ही नहीं उसके बारे में मन में कोई भय नहीं....
इसके विपरीत अगर हम अपने जीवन के कुछ दूसरी घटनाओ पर घोर करे तो स्थिति उलटी हो जाएगी...
मेरे एक मित्र ने नया नया व्यापार शुरू किया....... बड़ा घबराया हुआ था.... पूछा तो बोला.... पहली बार व्यापार कर रहा हु... घबराहट तो होगी ही.... आप परीक्षा या प्रतियोगिता में भी घबराते है.... वजह वही... पहली बार.........
हर बड़ा काम करते वक्त आपके मन में भय जरुर रहता है.... कही कुछ गलत ना हो जाए... अनर्थ का भय आपकी सारी खुशिओ को बे अर्थ कर देता है.... तो फिर सबसे बड़े एक्जाम में आप बेफिक्र कैसे.... गालो पर खुशिओ की लाली कैसे... ... क्यों कि "मन के हारे हार है और मन के जीते जित. ..."
जब हमारा मन कहता है की खुशिओ का मौका है तो हम खुश होते है और जब हमारा मन कहता है की डरने वाली बात है तो हम बिना कारण ही डरने लगते है... ये हमारा मन बहुत अच्छा निर्देशक है ..... हम इसके निर्देशों का तन मन धन से पालन करते है...
हर काम शादी की तरह ही होता है... मन में उमंग और उल्लास के साथ उसे करो.... दो गुना आनंद आएगा... आप भी खुश होंगे और आपके आस पास के तमाम लोग भी एन्जॉय करेंगे.
काम की  सफलता उसे करने वाले पर नहीं बल्कि उसे करने के तरीके पर निर्भर करती है...

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