जीने का नजरिया बदलो....

हम सब जीना चाहते है....लेकिन बहुत कम लोग है जिन्हें जीना आता है..... एक कहावत है  "मरण  री आलस जीवे..." यानि इसलिए जिए जा रहे है क्योंकि मरने का भी समय नहीं......किसी को कहते सुना " इतना व्यस्त हु कि सांस लेने की भी फुर्सत नहीं....." वाह, इतना व्यस्त भला कोई कैसे हो सकता.... ये तो चमत्कार है भाई......बगैर सांस लिए भला कोई जी कैसे रहा है.... हम सभी किसी ना किसी मजबुरी से जिए जा रहे है....... ज़ीने का सही अंदाज़ मै आपको बताता हु.....
आप ट्रेन में सफ़र कर रहे है..... और आप खिड़की के पास बैठे है..... तेज हवा चल रही है..... कि अचानक आपके कमीज़ की जेब से एक दस रूपये का नोट निकल कर बाहर उड़ जाता है.....आप क्या करेंगे..?
क्या आप जंजीर खीच कर ट्रेन को रुकवाएंगे...?   शायद नहीं.....
एक घटना और लेते है.......आप अपने एक मित्र की शादी में गए.... वहा आपको एक लड़की बहुत अच्छी लगी.... मन में आया कि उसके साथ पूरा जीवन बिता दू......अचानक वो नजरो से लुप्त हो गई..... आपको तो उसका नाम भी नहीं पता .... किसी से पुछो तो भी क्या..... आप क्या करेंगे..... उसके लिए उम्र भर इंतज़ार करेंगे ?
शायद नहीं........
चलो एक घटना और लेते है........ आप स्नान घर में है.... कि अचानक पानी चला गया....आप पूरी तरह नहा भी नहीं पाए.... अब आप क्या करेंगे..... क्या आप स्नान घर में बैठे बैठे अगली सुबह का इंतज़ार करेंगे....... शायद नहीं |
दोस्तों...यही जीवन जीने का सही अंदाज़ है.... जो गुजर गया...उस पर समय व्यर्थ मत करो..... जो है   उसका विचार करो..... जो आपका है वो कही नहीं जाएगा.... और जो चला गया वो आपका था ही नहीं.

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