भगवान् की नई कॉपी.....


एक छोटा बच्चा अपनी स्कूल की कॉपी में काम करता है तब जाने अनजाने ....बहुत सारी गलतिया भी करता रहता है......और उन गलतियों को इरेज़र से मिटाता रहता है..... इरेज़र जब तक नया होता है.....तब तक गलतिया पूरी तरह मिटाता है.... गलतियों का नामो निशान भी नहीं छूटता है...... लेकिन ज्यो ज्यो वो इरेज़र पुराना होता जाता है ....उसके साफ करने की दक्षता भी क्षीण होती जाती है......वो अपने पीछे कुछ काले काले निशान छोड़ जाता है.....बच्चा तो बच्चा है....शायद इस कालेपन का उसे कोई फर्क ना पड़ता हो लेकिन उसके माता पिता और अध्यापक उसे हमेशा टोकते रहते है.....वो उसे कॉपी को साफ़ करने का...सुधारने का पूरा प्रयत्न करता है.....उसके माता पिता भी उसके इस प्रयास में उसकी मदद करते है.....लेकिन जब गलतिया और कालापन इस कदर हो कि उन्हें दूर करना या ख़त्म करना नामुमकिन हो तो.....सबका आखिर में एक ही फैसला होता है कि ......कॉपी नहीं ले लो.....और बच्चा भी नई कॉपी पाकर बहुत खुश होता है..........सारी गलतियों को एक झटके में ख़त्म करने का इससे बेहतर उपाय नहीं होगा.........|
अगर इस प्रक्रिया को हमारे वास्तविक जीवन में देखे तो यही हो रहा है......हम अपने जीवन में जाने अनजाने में....इतनी गलतिया कर चुके है कि हमारा जीवन अब खुद हमारे लिए भार बन चूका है.....देश में.....समाज में.......विश्व में......गंदगी इतनी फ़ैल चुकी है कि अब सफाई नामुमकिन है.........|
भ्रष्टाचार......खून खराबा......पैसो की भूख......बलात्कार......गरीबो का शौषण....ना जाने कितने कु कर्म है......जिन पर हम चर्चा करते रहते है...और आखिर में एक ही नतीजा निकलता है...कि अब इसका कोई उपचार नहीं.......ये तो ऐसे ही चलेगा.....|
नहीं ....बिल्कुल नहीं.....कुछ भी ऐसे ही नहीं चलेगा.....भगवान् भी अक्सर अपनी इस दुनिया रूपी कॉपी में कुछ ना कुछ सुधार करता रहता है......तभी तो हम कहते रहते है.....उसके घर देर है...अंधेर नहीं.....लेकिन अब ये कॉपी इस कदर गन्दी हो चुकी है कि इसमें सुधार नामुमकिन है.........मुझे तो कोई उपाय नज़र नहीं आता...अगर आपको आ रहा हो तो कृपया मुझे बता दीजिये|
लम्बे समय से एक खबर चर्चा में है....... 2012 के अंत तक दुनिया ख़त्म हो जायेगी......सभी इस तर्क को नकार रहे है लेकिन मै कहता हु कि .....शायद भगवान् को उनकी स्कूल से नोटिस मिल गया है......और अब दुनिया की गंदगी को देखते हुए....उनके पास भी नई कॉपी डालने के सिवाय कोई चारा बचा नहीं.......हम तो कॉपी बदलने का फैसला बहुत जल्द ले लेते है......लेकिन भगवान् की इस कॉपी में कार्य इतना ज्यादा हो चुका है कि वो अभी भी कोई उपाय सोच रहे है कि शायद कॉपी बदलने की नौबत ना आये.......ये दो वर्ष का समय इसी बात का प्रतीक है......कि आखरी कोशिश शुरू हो चुकी है...........अगर इन दो वर्षो में भी हमने इन गंदगियो को ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया और कामयाबी नहीं पायी तो......दुनिया रूपी इस कॉपी का पतन निश्चित है............|
अब फैसला हमें करना है..और तुरंत करना है...|

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