वैलेंटाइन डे या शहीद दिवस.....

आज हर युवा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा है..... बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहता है.... आज का ये खास दिन....  वैलेंटाइन..... आखिर क्या खास है इस वैलेंटाइन में......?
क्यों मनाते है हम ये वैलेंटाइन डे ?

जिस किसी से भी मैंने ये सवाल किया तो शर्माते हुए बड़े ही खास अंदाज़ में मुझे ये जवाब मिला कि अपने प्यार को प्यार का एहसास कराने के लिए आज के दिन हम उन्हें गुलाब का फूल देते है... कोई ना कोई विशेष तोहफा देते है... और अपने दिल की बात कहते है...... |

"गुलाब का फूल और तोहफा...." किसने कहा .... ये त्यौहार भारतीय नहीं है..... मुझे याद आ रहा है वो दिन जब हमारे देश में पहली बार ये त्यौहार मनाया गया था...... तीन वीर.....देश भक्त ....स्वतंत्रता सेनानी के साथ हमने ये वैलेंटाइन डे मनाया था.... फर्क सिर्फ इतना है कि ..... हमने उन्हें फूल दिये और उन्होंने हमें एक बहुत ही कीमती तोहफा ......|

14  फरवरी 1931 की सुबह लाहोर में भगत सिंह, सुख देव और राजबीर को फांसी पर लटकाया गया .... हम देश वासियों ने उनके पार्थिव शरीर पर गुलाब के फूल चढ़ाये और वो हमें आज़ादी का एक नायाब तोहफा दे गए....... |

आज 80 वर्ष के बाद जब हम आज़ादी की खुली हवा में चैन की सांस ले रहे है...... तो अचानक से यह शहीद दिवस ... वैलेंटाइन डे कैसे बन गया ?

अरे बेशर्मो थोड़ी तो शर्म करो.... जीन दरिंदो ने हमारे लाडलो को बेरहमी से मार डाला उन्ही का त्यौहार मना रहे है ..... और तो और खुशिया मनाने के लिए तुम्हे और कोई दिन नहीं मिला... ?

बंद करो बेशर्मी का ये नंगा नाँच ....... और अभी भी संभल जाओ... वरना वो दिन दूर नहीं जब हम पूरी तरह से उन विदेशियों के चंगुल में फिर से फँस जायेंगे...|




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