सुन्दरता तारीफ़ चाहती है ...

रात के बारह बजे एक ब्यूटी क्वीन ने हमें रोका
हमने सोचा पहचानने में हो गया होगा धोखा
हम "विसंक कवि" सुलभ लज्जा से सिर झुकाए चल दिए
पीछे से कन्या के केश मारे गुस्से के बिखर गए
वो बोली, पलकों से मै अवध की शाम लगती हु
चलती हु तो शम्मा लगती हु
इस लड़के ने मुझे नहीं छेडा
क्या मै इसकी अम्मा लगती हु .....।


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