लघु कथा - खुद पर अविश्वास

लघु कथा - खुद पर अविश्वास
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"कल मेरा परीक्षा परिणाम आने वाला है"...राजेश थोडा सा विचलित था आज ..... हर कोई उसे पढ़ाकू कह कर उसका मज़ाक बनाता आया है लेकिन राजेश को तो बस अव्वल आने की ललक थी |
सुबह सुबह राजेश के दोस्त मुकेश और श्याम घर पर आ गए, राजेश उस वक्त अपने कमरे में ही था .... राजेश, ओ राजेश....कहा है तू... बाहर से ही चिल्लाते हुए आ रहे थे वे दोनों.... माँ ने उन्हें बैठाया और पानी पिलाया फिर आने का सबब पूछा तो वे बहुत ही धीमे और घबराते हुए लहजे में बोले ..... क्या आपको नहीं पता ....?
माँ ने फिर पूछा, "क्या नहीं पता ?" श्याम ने बहुत सोचते हुए अपनी नज़रे जमीं पर गडाए रखते हुए कहा ..."आज इन्टरनेट पर हमारा परीक्षा परिणाम आ गया है, हम दोनों तो पास हो गए मगर ....."
"मगर क्या ?" माँ ने फिर पूछा ....वो कुछ बोलना नहीं चाहते थे...जैसे उनकी जुबान किसी ने तालू से चिपका रखी हो... |
बोलो बेटा, क्या हुआ ....राजेश का क्या परिणाम रहा ? पिताजी ने भी कमरे से बाहर आकर माँ की बात में बात जोड़ी ....|
अब मुकेश बोला...वो अंकल जी ....राजेश तो फेल हो गया है .....राजेश कमरे में बैठा ये सब सुन रहा था ...उसके पैरो तले तो जैसे जमीं खिसक गई थी.... कानो में जैसे किसी ने निश्चेतन डाला दिया हो .....कुछ समझ नहीं आ रहा था...कमरे के बाहर जाये तो कैसे .....|
दोनों दोस्त चले गए ...माँ - पिताजी ने भी राजेश को ये बात अभी बताना ठीक नहीं समझा लेकिन राजेश तो सबकुछ जान चूका था .... जिस कडवे सच को माँ बाप छुपाना चाहते थे वो कडवा जहर तो कब का गर्म लावा बनकर राजेश के मन को छलनी कर चूका था .... वो दर्द भरी रात गुजर गई...लेकिन क्या सब कुछ ठीक कर पाई ...नहीं ....!
माँ ने जैसे ही राजेश के कमरे का दरवाजा खोला ...वो सन्न रह गई... उसका इकलोता बेटा उसके सामने झूल रहा था ....एक रस्सी गर्दन पर थी और पूरा बदन पंखे पर लटक रहा था |
राजेश अपनी फेल होने की खबर को अपने मन पर बोझ बनाकर दुनिया से विदा हो गया और अपने पीछे अपने माँ बाप को सारी उम्र के लिए रोता हुआ छोड़ गया |
अगली सुबह श्याम और मुकेश हसते हुए आये और बोले "कहाँ है राजेश, वो पुरे कॉलेज में अव्वल आया है, हम तो कल राजेश को छेड़ने आये थे पर वो तो मिला ही नहीं .....| माँ वही जमीं पर बैठ गई ..... "अब कभी आएगा भी नहीं" पिताजी गुस्से में बोले... तुम्हारी एक मज़ाक ने राजेश के प्राण ले लिए .......|
सबके मन में एक ही सवाल था...इतना पढने के बाद भी राजेश को खूद पर रत्ती भर भी यकीं नहीं था, क्यों ?

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