संतोषी नर सदा सुखी



संतोषी नर सदा सुखी ...


दोस्तों, सपने देखना कोई गलत बात नहीं है लेकिन सपनो के पीछे दीवाना होकर अपनों को भूल जाना....गलत है । जरा सोचो कि आपकी जरूरते कितनी है और ख्वाइशे कितनी...जरूरते तो गरीब की भी पूरी होती है और ख्वाइशे तो अमीर की भी पूरी नहीं होती....।
कल एक सलून पर बाल कटवाने गया था...आदत के अनुसार नाई ने बाते करना शुरू किया...और बातो ही बातो में मेरे मन की व्याधि भी भाप ली... वो समझ गया था कि में अपने वर्तमान से संतुस्ट नहीं हु .... फिर उसने पूछ लिया..... और साहब, जिन्दगी कैसी गुजर रही है ?
मैंने लम्बी सांस भरते हुए कहा... ठीक है भाई...निकल रही है.... बाकी मज़ा नहीं है.... वो मज़ाक के मूड में था.... और लम्बे अरसे से मुझे जानता भी था सो हँसते हुए बोला ... 


क्या साहब, बँगला...गाडी....व्यापार औए नाम सब कुछ तो मिल गया ...अभी भी संतोष नहीं है.... ऐसा करो, अपने किसी  मित्र से कहो..... एक लोहे की सलाख गरम करके....आपकी पीठ पर लगा दे.... शायद संतोष मिल जाए..... एक बार तो मै उसके इस कटाक्ष पर चौक गया लेकिन जब समझ मै आया तो अपनी हँसी को रोक ही नहीं पाया.....
मज़ाक ही मज़ाक मै कितनी गहरी बात कर दी....जब खुशियों के समंदर में भी गर्मी लग रही हो तो.... एक ही रास्ता है.... अंगारों पर लोट कर देखो....समंदर के शीतल पानी की अहमियत समझ में आ जायेगी.....गम आने पर ही खुशियों की अहमियत समझ में आती है.......अतः अपनी ख्वाइशो को कम करके अपनी जरूरतों को पूरा करने का प्रयत्न करो......खुशियाँ खुद ब खुद तुम्हारा हाथ थाम लेगी.....।

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